केंद्र की संगोष्ठी की गतिविधि अपने शिक्षण कार्यक्रमों के लिए अभिन्न है। आमतौर पर बुधवार की सुबह ‘बुधवार सेमिनार’ आयोजित होते हैं, जब कक्षाएं सत्र में नहीं होती हैं। ये संगोष्ठीयां बहस एवं चर्चा के लिए तथा समकालीन मुद्दों पर विचारों के जीवंत आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान करती हैं जिसमें केंद्र के छात्रों को भारत एवं विदेश के सभी हिस्सों से विद्वानों एवं अभ्यासकर्ताओं के साथ बातचीत करने का अवसर प्राप्त होता है। 2004 में बुधवार की संगोष्ठी श्रृंखला के नियमितकरण के बाद से, केंद्र ने भारतीय एवं विदेशी विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों के साथ विश्वभर से शोधकर्ताओं एवं अभ्यासकर्ताओं की मेजबानी की है। संगोष्ठी श्रृंखला में केंद्र के संकाय एवं शोधकर्ताओं द्वारा प्रस्तृतियों के लिए भी एक मंच प्रस्तुत किया जाता है, जो अपने दर्शकों के सामुहिक आदान-प्रदान से अपने अनुसंधान एवं लाभ को साझाकरते हैं।
 
     
| 2004 से सीआईपीओडी संगोष्ठी श्रृंखला 
 | ||
| 2014 
 | ||
| राजदूत बी.वी. प्रकाश | एओ उत्पत्ति, एओ शक्तियां एवं एओं शक्तियों की उभरती अवधारणा, एओ शक्तियां, एओ 
 | 12 मार्च 2014 
 | 
| प्रोफेसर विलियम माले निर्देशक, कूटनीति का एशिया-पैसिफिक महाविद्यालय ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, कैनबरा | 2014 का अफगानी चुनाव एवं भविष्य भी संभावना | 19 फरवरी 2014 
 | 
| प्रोफेसर मैथ्यू स्पार्क वाशिंगटन विश्वविद्यालय, सिएटल, संयुक्त राज्य | नवउदारवाद वैश्वीकरण के संदर्भ में भू-राजनीति एवं भू-अर्थशास्त्र को सुलझाना | 18 फरवरी 2014 
 | 
| श्री राजीव कुमार रंजन डॉक्टरेट उम्मीदवार, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, संगठन एवं निरस्त्रीकरण के लिए केंद्र 
 | विश्वव्यापी एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनः एचआईवी/एड्स पर सम्म्लित संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम की गतिविधियों का एक अध्ययन (यूएनएड्स) | 22 जनवरी 2014 
 | 
| डॉ. काई माइकल केनकेल रियो डी जनेरियो (पीयूसी रियो) का पांटिफीशियल कैथेलिक विश्वविद्यालय, रियो डी जनेरो, ब्राज़ील | उभरतीं शक्तियां, हस्तक्षेप एवं उत्त्रदायित्वः ब्राज़ील का मामला 
 | 15 जनवरी 2014 
 | 
| 2013 
 | ||
| श्री फ्रैंक ओ डोडनेल डॉक्टरेट के उम्मीदवार, किंग एओएस महाविद्यालय लंदन एवं श्री योगेश जोशी डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | भारत के 2013 में परमाणु अवलोकनः राजनीतिक एवं परिचालन विकास 
 | 27 नवंबर 2013 
 | 
| डॉ. अनीत मुखर्जी अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन (आरएसआईएस) के राजरत्नम विद्यालय, नानयांग तकनीकी विश्वविद्यालय, सिंगापुर में सहायक प्रोफेसर | अनुपस्थित वार्ताः भारत में नागरिक-सैन्य संबंधों में संकट 
 | 13 नवंबर 2013 
 | 
| डॉ. मारिया रोस्ट रूबल ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में वरिष्ठ व्याख्याता | परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के भीतर सामान्य प्रतियोगिता 
 | 9 अक्टूबर 2013 
 | 
| श्री ब्रेंडन सार्जेंट रणनीति के लिए उप सचिव, रक्षा विभाग, ऑस्ट्रेलिया | ऑस्ट्रेलिया की सामरिक रक्षा प्राथमिकताएं एवं क्षेत्रीय सुरक्षा गतिशीलता के हमारे आकलन | 3 अक्टूबर 2013 
 | 
| श्री ध्रुव जयशंकर ट्रांसाटलांटिक फैलो, जर्मन मार्शल फंड | विकास, प्रतिरोध एवं स्वायत्तताः 1991 के बाद भारतीय विदेश नीति | 25 सितंबर 2013 
 | 
| श्री योगेश जोशी डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | गिरता हुआ अमेरिका, एशिया की ओर एवं एक झूलता भारतः ‘चिंतात्मक विचार’ एवं ‘स्वाभाविक असर’ के बीच 
 | 18 सितंबर 2013 
 | 
| श्री गौरव शर्मा डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | तीन भारतीय परमाणु निरस्त्रीकरण योगजाओं का निर्माण 
 | 17 जुलाई 2013 
 | 
| श्री सोमशुभ्र मौलिक डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू 
 | जनसंख्या गतिशीलता एवं आतंकवादः स्पेन एवं मोरक्को का एक भू-राजनीतिक विश्लेषण 
 | 
 | 
| श्री विनीत ठाकुर डॉक्टरल उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | भारत (1946-56) एवं दक्षिण अफ्रीका (1994-2004) में विदेश नीति के विचार-विमर्शः उपनिवेश के बाद का एक लेखन | 26 अप्रेल 2013 
 | 
| डॉ. स्नेह महाजन भारतीय अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ अनुसंधान फेलो 
 | एक औपनिवेशिक राज्य की विदेश नीतिः ब्रिटिश भारत की विदेश नीति के निर्णायक, 1914-1947 | 10 अप्रेल 2013 
 | 
| सुश्री सैली बेकेंहम डॉक्टरल उम्मीदवार, युद्ध अध्ययन विभाग, किंग्स एओएस महाविद्यालय, लंदन | क्या मानवाधिकार वे हैं जो स्थानीय लोग बनाते हैं? अंतर्राष्ट्रीय मानदंड एवं सुनामी के बाद के तमिलनाडु में स्थानीय परिवर्तन | 13 मार्च 2013 
 | 
| सुश्री अनिथा शर्मा स्वतंत्र पर्यावरण शिक्षक एवं शोधकर्ता त्रिवेंद्रम, केरल | कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की सामयिक एवं पारिस्थितिकी लागतः लोगों से सीखना, परमाणु ऊर्जा के विरूद्ध आंदोलन 
 | 13 मार्च 2013 
 | 
| सुश्री सुहासिनी हैदर वरिष्ठ संपादक, सीएनएन-आईबीएन | समकालीन पाकिस्तान की भावना का निर्माणः एक रिपोर्टर का परिप्रेक्ष्य 
 | 6 मार्च 2013 
 | 
| डॉ राजा सक्रानी अकादमिक कार्यक्रमों के परियोजना निर्देशक, उन्नत अध्ययन के लिए केट हैम्बर्गर केंद्र, बान | अरबी क्रांतियों के दौरान एवं बाद में शरीयत के लिए स्वीकार्य एवं संदर्भ का पुनरूत्थान 
 | 20 फरवरी 2013 
 | 
| श्री शिव पूजन पाठक पीएचडी उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू 
 | महान शक्ति की स्थिति के लिए भारत की खोज का तुलनात्मक अध्ययनः नवयर्थातवादी एवं सामाजिक रचनावादी बहस का विश्लेषण 
 | 23 जनवरी 2013 
 | 
| डॉ. अलेक्ज़ेंडर टी. जे. लेनन संपादक-इन-चीफ, वाशिंगटन तिमाही एवं वरिष्ठ फेलो, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा कार्यक्रम, सामरिक एवं अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (सीएसआईएस) वाशिंगअन डीसी | ओबामा का दूसरा कार्यकाल एवं वैश्विक सुरक्षा आदेश 
 | 16 जनवरी 2013 
 | 
| 2012 
 | ||
| प्रो. मुचकुंड दुबे प्रमुख, सामाजिक विकास परिषद, नई दिल्ली, पूर्व राजनयिक एवं जेएनयू प्रोफेसर | भारत की विदेश नीतिः बदलते विश्व के साथ निभाना 
 | 27 नवंबर 2012 
 | 
| डॉ अर्चना नेगी सहायक प्रोफेसर, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, संगठन एवं निरस्त्रीकरण केंद्र, एसआईएस, जेएनयू | आनुवांशिक संसाधन एवं नागोया प्रोटोकॉल एक आकलन 
 | 14 नवंबर 2012 
 | 
| प्रोफेसर नेन्सी डी. एर्बे चर्चा, संघर्ष संकल्प एवं शांति स्थापना की प्रोफेसर, कला एवं मानविकी महाविद्यालय, कैलिफोर्निया राज्य विश्वविद्यालय डोमिंगवेज़ हिल्स 
 | संघर्ष संकल्प में नैतिकता एवं न्याय 
 | 7 नवंबर 2012 
 | 
| प्रमुख वक्ताः डॉ ब्रेंडन टेलर प्रमुख, सामरिक एवं रक्षा अध्ययन केंद्र, अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक एवं सामरिक अध्ययन विद्यालय, एशिया एवं दि पेसिफिक का एएनयू महाविद्यालय, ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय 
 समीक्षकः राजदूत रिचर्ड रिगबी, कार्यकारी निर्देशक, एशिया एवं दि पेसिफिक का एएनयू महाविद्यालय, ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय | उभरता चीन एवं शक्ति का एशियाई संतुलन 
 | 31 अक्टूबर 2012 
 | 
| राजदूत के.पी. फेबियन पूर्व राजनयिक एवं समीक्षक | कूटनीतिः भारतीय शैली 
 | 10 अक्टूबर 2012 
 | 
| डॉ. जोशुआ टी. व्हाइट वाशिंगटन में उन्नत अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन के जान्स हापकिन्स विद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय संबंध में पीएचडी | अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों का भविष्यः व्यापक क्षेत्र के लिए अनुमान 
 | 19 सितंबर 2012 
 | 
| श्री मुरली लाल मीणा पीएचडी उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | नील नदी बेसिन की भू-राजनीतिः इथियोपिया, सूडान एवं मिस्त्र में पानी के बंटवारे की समस्या 
 | 19 सितंबर 2012 
 | 
| सुश्री प्रिया नाइक पीएचडी उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | भारत की जलवायु परिवर्तन कूटनीति का निर्माणवादी विश्लेषणः मानदंडों का अध्ययन 
 | 5 सितंबर 2012 
 | 
| श्री रमेश गायकवाड पीएचडी उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू 
 | व्यवसाय के भैगोलिक परिणामः इराक के मामले का अध्ययन 
 | |
| डॉ कल्याणरमण अनुसंधान फेलो, रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण का संस्थान | भविष्य क्षेत्रीय स्थिरता संचालन के लिए आपरेशन पवन से प्रमुख पाठ | 29 अगस्त 2012 
 | 
| राजदूत किशन एस. राणा प्रोफेसर एमिरेट्स, डिप्लो प्रतिष्ठान (माल्टा एवं जिनेवा) | छोटे राज्यों की कूटनीति 
 | 22 अगस्त 2012 
 | 
| श्री मार्टिन जैक्स लेखक एवं प्रसारक | जब चीन विश्व पर राज करता है | 25 जुलाई 2012 
 | 
| डॉ. लुईस केब्रेरे राजनीतिक सिद्धांत में पाठक, राजनीति विज्ञान एवं अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन विभाग, बर्मिघम विश्वविद्यालय, यू के | निर्धनता के विरूद्ध खड़े शिक्षाविद 
 | 20 जुलाई 2012 
 | 
| माननीय श्री दीपक ग्यावली जल विशेषज्ञ एवं नेपाल के पूर्व जल संसाधन मंत्री तथा उत्तम कुमार सिन्हा, आइडीएसए | गंगा बेसिन में जल सहयोग का पुनर्निमाण करनाः क्यों ‘हरे जल’ पर ध्यान केंद्रित करना ‘नीले जल’ की तुलना में महत्त्वपूर्ण है। 
 | - 
 | 
| श्री रामानुज कौशिक डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | आपदा, राज्य सार्वभौमिकता एवं कूटनीतिः 2004 की हिंद महासागर की सुनामी पर भारत एवं इंडोनेशिया की प्रतिक्रिया | 16 मई 2012 
 
 | 
| श्री सुरै सोरेन डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | भारत की ऊर्जा कूटनीतिः 1991 से तेल की खरीद के प्रभाव का एक अध्ययन 
 | |
| श्री दीप नारायण पांडे डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | भू-राष्ट्रों के लिए पारगमन मार्गों की भू-राजनीतिः इथियोपिया एवं नेपाल का एक तुलनात्मक अध्ययन | |
| प्रोफेसर एलन बोगे, जीन मैलिन यूजेएम विश्वविद्यालय, ल्यों 3, फ्रांस | एशिया में भू-राजनीतिः विकसित होते संवाद एवं जटिल भू-राजनीति 
 | 4 मई 2012 
 | 
| श्री सौरभ कुमार डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | क्षेत्रीय मौद्रिक एकता के लिए मार्गः यूरोपीय एवं पूर्वी एशियाई अनुभवों की तुलना 
 | 18 अप्रेल 2012 
 | 
| श्री अतुल मिश्रा डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | भारत एवं पाकिस्तान में संप्रभुता पर विभाजन का प्रभावः एक सैद्धांतिक अध्ययन 
 | 18 अप्रेल 2012 
 | 
| प्रोफेसर श्री वाहयुनी | इंडोनशिया में वर्तमान स्थिति के संदर्भ में आसे से संघर्ष संकल्प | 28 मार्च 2012 
 | 
| डॉ. श्रीनाथ राघवन वरिष्ठ फेलो, नीति अनुसंधान का केंद्र | गैर-संरेखण 2.0:21वीं सदी में भारत के लिए एक विदेशी एवं सामरिक नीति | 28 मार्च 2012 
 | 
| सुश्री विनीता प्रियदर्शी डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | चौथी पीढ़ी युद्ध के सिद्धांत का मूल्यांकनः उत्तरी आयरलैंड, आंध्र प्रदेश एवं पंजाब में प्रशमन के मामले का अध्ययन | 21 मार्च 2012 
 | 
| डॉ इटी इब्राहीम दक्षिण एशिया संस्थान, आस्टिन में टेक्ससा विश्वविद्यालय | अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एक समस्या के रूप में मान्यता 
 | 15 फरवरी 2012 
 | 
| डॉ प्रिया चाको एडिलेड विश्वविद्यालय | एक अंतर्राष्ट्रीय विचारक के रूप में नेहरू | 18 जनवरी 2012 
 | 
| डॉ एडम लोथर वायु सेना अनुसंधान संस्थान (एएफआरआई, संयुक्त राज्य वायु सेना) अलबामा में अनुसंधान प्रोफेसर | हवाई शक्ति की कूटनीति 
 | 17 जनवरी 2012 
 | 
| 2011 
 | ||
| प्रोफेसर अशोक कपूर प्रतिष्ठित प्रोफेसर एमिरेट्स, वाटरलू विश्वविद्यालय, ओन्टारियो | भारत, चीन, एवं संयुक्त राज्य अमेरिका 2011: सामरिक भागीदारी कहां है? 
 | 09 नवंबर 2011 
 | 
| श्री जोएल ओएटेरेच राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर, ड्रेक्सल विश्वविद्यालय एवं डेक्सल विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र अध्ययन कार्यक्रम के निर्देशक | मानवाधिकार, विकास एवं संयुक्त राष्ट्र प्रणाली 
 | 19 अक्टूबर 2011 
 | 
| सुश्री अनुरूपा दीक्षित एवं सुश्री अदिति गोसावी, छात्रवृत्ती कार्यक्रम डीएएडी क्षेत्रीय कार्यालय, भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका | जर्मनी में उच्च शोध के लिए अवसर 
 | 28 नवंबर 2011 
 | 
| श्री कृष्णप्पा वेंकटशमी अनुसंधान सहयोगी, रक्षा अध्ययन संस्थान एवं विश्लेषण | नेहरूवाद एवं भारतीय सामरिक सोच की महान परंपरा 
 | 21 सितंबर 2011 
 | 
| प्रोफेसर जेफरी डब्ल्यू. लेग्रो, वर्जीनिया विश्वविद्यालय, साथ ही रक्षा अनुसंधान एवं विश्लेषण संस्थान में फुलब्राइट-नेहरू वरिष्ठ शोधकर्ता भी | अमेरिकन पिवटः गिरावट की आयु में स्थिति की शक्ति 
 | 14 सितंबर 2011 
 | 
| राजदूत किशन राणा प्रोफेसर एमेरिट्स, डिप्लोफाउंडेशन (माल्टा एवं जिनेवा) | क्षेत्रीय कूटनीति 
 | 10 अगस्त 2011 
 | 
| राजदूत किशन राणा प्रोफेसर एमेरिट्स, डिप्लोफाउंडेशन (माल्टा एवं जिनेवा) | द्विपक्षीय राजनीतिक कूटनीति 
 
 | 03 अगस्त 2011 
 | 
| सुश्री निमिशा पांडे डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | नागरिक समाज एवं अंतर सरकारी संगठनः विश्व व्यापार संगठन में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका 
 | 04 मई 2011 
 | 
| श्री एस. कुलश्रेष्ठ डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | नैनो तकनीक के अधिग्रहण की वार्ताः भारतीय अनुभव का एक अध्ययन 
 | 13 अप्रेल 2011 
 | 
| श्री अली अहमद डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | भारत लिमिटेड युद्ध सिद्धांतः संरचनात्मक, राजनीतिक एवं संगठनात्मक कारक संयुक्त राष्ट्र 
 | |
| श्री डेविड हैरी प्रमुख, शांति की स्थापना श्रेष्ठ कार्य विभाग, संयुक्त राष्ट्र का शांति स्थापना संचालन विभाग, न्यूयॉर्क | शांति रक्षक के विचार के रूप में सर्वोत्तम कारक 
 
 
 
 | 08 अप्रेल 2011 
 | 
| डॉ एलीन वारे परमाणु अप्रसार एवं निरस्त्रीकरण (पीएनआईडी) के लिए सांसदों के सह संस्थापक एवं अंतर्राष्ट्रीय समन्वयक | सुरक्षा एवं जीवन रक्षाः परमाणु हथियार सम्मेलन का मामला 
 | 06 अप्रेल 2011 
 | 
| राजदूत किशन एस. राणा प्रोफेसर एमेरिट्स, डिप्लोफाउंडेशन (माल्टा एवं जिनेवा) | विदेश मामलों के मंत्रालय एवं सुधार 
 
 | 23 मार्च 2011 
 | 
| डॉ हंस-जोचिम केडरलेन जर्मनी के संघीय गणराज्य के पूर्व राजनायिक | मानव सुरक्षा एवं राष्ट्रीय हित 
 | 10 मार्च 2011 
 
 | 
| डॉ. निकोला मिरिलोविक पोस्टडॉक्टरल अनुसंधान सहयोगी एवं व्यावसायिक उपदेशक एशियाई अध्ययन के लिए सिगुर केंद्र, अंतर्राष्ट्रीय मामलों का इलियट विद्यालय, द जार्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय | तुलनात्मक प्रवासी राजनीतिः चीन एवं भारत के मामले, 
 | 24 फरवरी 2011 
 | 
| श्री पीटर वर्गीस ऑस्ट्रेलिया के उच्चयुक्त | भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध 
 | 22 फरवरी 2011 
 | 
| श्री अर्जुन केटोच संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की आपातकालीन सेवा शाखा के दोनों भाग ओसीएचए क्षेत्र समन्वय इकाई (एएफसीएसयू) के प्रमुख एवं आईएनएसएआरएजी के सचिव (अंतर्राष्ट्रीय खोज एवं बचाव सलाहकार समूह) | अंतराष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली एवं इसमें भारत की भूमिका 
 | 2 फरवरी 2011 
 | 
| प्रोफेसर टी.वी. पॉल जेम्स मैकगिल अंतर्राष्ट्रीय संबंध के प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, मैकगिल विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल, कनाडा | दक्षिण एशिया में शांतिः क्या आईआर सिद्धांत सहायता कर सकता है? 
 | 21 जनवरी 2011 
 | 
| डॉ ओलिवर स्टुंकेले विज़िटिंग स्कॉलर, जेएनयू एंड फेलो, वैश्विक सार्वलनिक नीति संस्थान (जीपीपीआई), बर्लिन 
 | वैश्विक शासन एवं उभरती हुई शक्तियों की भूमिका 
 | 19 जनवरी 2011 
 | 
| राजदूत किशन एस. राणा प्रोफेसर एमेरिटस, डिप्लोफाउंडेशन (माल्टा एवं जिनेवा) | वैश्विक द्विपक्षीय कूटनीति 
 | 12 जनवरी 2011 
 | 
| 2010 
 | ||
| डॉ. लोरा एसएन एसोसिएट, परमाणु नीति कार्यक्रम, कार्नेगी एंडॉमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस | चीन एवं भारतः सुरक्षा विचारों में अंतर, समानता एवं समरूपता 
 | 16 नवंबर 2010 
 | 
| प्रोफेसर डेविड कॉर्टेट नीति अध्ययन के निर्देशक, अंतर्राष्ट्रीय शांति अध्ययन के लिए क्रोक संस्थान, नोट्रे डेम विश्वविद्यालय | अफगानिस्तान पर क्षेत्रीय दृष्टिकोण 
 | 9 नवंबर 2010 
 | 
| डॉ मौशुमी बसु सहायक प्रोफेसर, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | विकास के लिए दृष्टिकोण का संघर्षः नव-उदारवादी विकासवाद एवं विकास का अधिकार | 20 अक्टूबर 2010 
 | 
| डॉ श्रीनाथ राघवन रक्षा अध्ययन विभाग, किंग्स महाविद्यालय लंदन एवं वरिष्ठ फेलो, नीति अनुसंधान केंद्र | भारत के इतिहास की ओर, अंतर्राष्ट्रीय संबंधः क्षेत्र से लेख 
 | 6 अक्टूबर 2010 
 | 
| प्रोफसर पाओलो कोट्टा-रमसुईनो महासचिव, विज्ञान एवं विश्व मामलों के बारे में पुगवाश सम्मेलन | 2010 के समीक्षा सम्मेलन के बाद एनपीटीः आगे की समस्याएं 
 | 29 सितंबर 2010 
 | 
| श्री गौतम बम्बावाले संयुक्त सचिव, पूर्वी एशिया, विदेश मंत्रालय | भारत-चीन संबंधः एक राजनीतिक परिप्रेक्ष्य 
 | 22 सितंबर 2010 
 | 
| प्रोफेसर पीटर न्यूवेल अंतर्राष्ट्रीय विकास विद्यालय, पूर्वी एंग्लिया विश्वविद्यालय, यू के | स्वच्छ विकास का शासनः सीडीएम एवं परे 
 | 15 सितंबर 2010 
 | 
| सुश्री सुचरिता सेनगुप्ता पीएचडी उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | जलवायु परिवर्तन पर घरेलू कारकों का प्रभावः भारत एवं चीन का तुलनात्मक विश्लेषण 
 | 11 मई 2010 
 | 
| सुश्री नेहा वाधवन पीएचडी उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | वैश्वीकरण, लिंग एवं प्रवासनः घरेलू कार्य की राजनीतिक अर्थव्यवस्था 
 | |
| प्रोफसर वियिन जाबरी युद्ध अध्ययन विभाग, किंग्स महाविद्यालय लंदन | सर्वदेशीय युद्ध एवं वैश्विक राजनीति का परिवर्तन 
 | 31 मार्च 2010 
 | 
| श्री मेलानी हनीफ अनुसंधान फेलो, वैश्विक एवं क्षेत्रीय अध्ययन के लिए जर्मन संस्थान (जीआईजीए) | दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय अनुशासन एवं स्थिरताः अपने पड़ोस में भारत की भूमिका 
 | 10 मार्च 2010 
 | 
| श्री प्रदीप दत्ता ब्यूरो प्रमुख, टाइम्स नाउ, जम्मु | जम्मु एवं कश्मीर में सशस्त्र संघर्ष एवं छोटे हथियार प्रसार | 18 फरवरी 2010 
 | 
| डॉ. मुथैया अलगप्पा प्रतिष्ठित वरिष्ठ सहयोगी, पूर्व-पश्चिम केंद्र, संयुक्त राज्य अमेरिका | भारत में अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन का उन्नयन 
 | 11 फरवरी 2010 
 | 
| डॉ. मौशुमी बसु सहायक प्रोफेसर, सीआईओपीडी, एसआईएस, जेएनयू | अद्भुद साथीः विकास पर औपनिवेशिक कथाओं के बीच संबंध | 3 फरवरी 2010 
 | 
| राजदूत किशन एस. राणा प्रोफेसर एमेरिटस, डिप्लोफाउंडेशन (माल्टा एवं जिनेवा) | 21वीं सदी दूतावासः उत्क्रांति एवं पुनर्जागरण 
 | 1 फरवरी 2010 
 | 
| श्री अतोम सुनील सिंह डाक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | मेकांग बेसिन में विकास की भू-राजनीतिः कंबोडिया में एक मामले का अध्ययन 
 | 13 जनवरी 2010 
 | 
| 
 2009 | ||
| डॉ. अर्चना नेगी सहायक प्रोफेसर, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | कोपेनहेगन से उलटी गिनतीः जलवायु परिवर्तन वार्ता में स्थिति | 28 अक्टूबर 2009 
 | 
| श्री एन. सत्या मूर्ती आब्सर्वर अनुसंधान संस्था, चेन्नई | श्रीलंका में वर्तमान स्थिति 
 | 22 अक्टूबर 2009 
 | 
| डॉ. आशुतोष मिश्रा ग्रिफिथ एशिया संस्थान, ग्रिफिथ विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया | पाकिस्तान की पुरानी अस्थिरताः क्या लोकतंत्र उत्तर है? 
 | 7 अक्टूबर 2009 
 | 
| डॉ. जॉर्ज पेरकोविच अध्ययन के लिए उपाध्यक्ष एवं परमाणु नीति कार्यक्रम के निर्देशक, कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस, वाशिंगटन डीसी | परमाणु निरस्त्रीकरण में अगला कदम 
 | 1 अक्टूबर 2009 
 | 
| डॉ. पैट्रिक ब्रैटन राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर, हवाई पेसिफिक विश्वविद्यालय | प्रतिरोधी संकेतन पर सरकारी संरचना का प्रभाव 
 | 30 सितंबर 2009 
 | 
| डॉ. एस कपूर सहायक प्रोफेसर, राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों का विभाग, अमेरिकी नौसेना स्नातकोत्तर विद्यालय एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सहयोग केंद्र (सीआईएसएसी) में संकाय संबद्ध, स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय | शस्त्र नियंत्रणः भारतीय एवं अमेरिकी परिप्रेक्ष्य 
 | 17 सितंबर 2009 
 | 
| श्री अमनदीप सिंह गिल निर्देशक, निरस्त्रीकरण एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले, विदेश मंत्रालय | भारत एवं नई शस्त्र नियंत्रण कार्यसूची 
 | 19 अगस्त 2009 
 | 
| प्रोफेसर स्कॉट डी. सागन राजनीति विज्ञान विभाग, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय 
 | नो फर्स्ट यूज़ का मामला | 5 अगस्त 2009 
 | 
| डॉ. डब्ल्यू. लॉरेंस एस. प्रभाकर सहायक प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज | परमाणु प्रतिरोध एवं परमाणु निरस्त्रीकरणः 21वीं सदी में नए परिदृश्य | 4 अगस्त 2009 
 | 
| श्री सौमित्र मोहन पीएचडी उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के नियमः दक्षिण एशिया में शरणार्थी समस्या का अध्ययन 
 | 25 मई 2009 
 | 
| श्री नेमातुल्ला नौजूमी विश्व धर्मों के लिए केंद्र, कूटनीति एवं संघर्ष संकल्प, जॉर्ज मेसन विश्वविद्यालय | दक्षिण एवं मध्य एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता एवं अमेरिकी नीति 
 | 31 मार्च 2009 
 | 
| प्रोफेसर डैनियल डैचे सहायक निर्देशक, कैनेडियाई अधान के लिए रॉबर्ट केंद्र एवं राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर, यॉर्क विश्वविद्यालय | निडर जनमत एवं नव-उदारवाद, फाइव ओ क्लॉक शेडोः नई नागरिकता प्रथाओं का निर्णायक मुद्दा 
 | 20 फरवरी 2009 
 | 
| श्री नयन चंदा, वैश्वीकरण के अध्ययन के लिए येल केंद्र | वैश्वीकरण के बादे एवं संकटः एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य | 7 जनवरी 2009 
 | 
| श्री मीनल श्रीवास्तव सहायक प्रोफेसर एवं शैक्षणिक समन्वयक, वैश्विक एवं सामाजिक विश्लेषण केंद्र, आथबास्का विश्वविद्यालय, कनाडा | वैश्वीकरण अध्ययनः वैश्विक प्रतिमान की सीमाओं को पीछे धकेलना 
 | 7 जनवरी 2009 
 | 
| 
 2008 | ||
| श्री नील जोइक लॉरेंस लिवरमोर लैब्स, संयुक्त राज्य एवं श्री ज़ैची एस. डेविस नौसेना स्नातकोत्तर विद्यालय, मोंटेरी, संयुक्त राज्य | भारत में परमाणु अध्ययन का एक दशक 
 | 23 सितंबर 2008 
 | 
| श्री शिशिर प्रियदर्शी, निर्देशक, व्यापार एवं विकास विभाग, विश्व व्यापार संगठन सचीवालय, जिनेवा | व्यापार वार्ता के दोहा दौर में ‘विकास’ का वादा 
 | 13 अगस्त 2008 
 | 
| श्री यासूयुकी ईशिदा डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | विश्व राजनीति में परमाणु अप्रसार संधि 
 | 9 अप्रेल 2008 
 | 
| डॉ. अर्चना नेगी, सहायक प्रोफेसर, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | वैश्विक शासन में संबद्धताः व्यापार एवं पर्यावरण का मामला 
 | 2 अप्रेल 2008 
 | 
| प्रोफेसर क्लास दिकमन लिपज़िग विश्वविद्यालय | वैश्विक इतिहास में अंतर्राष्ट्रीय संगठन | 5 मार्च 2008 
 | 
| प्रोफेसर कलीम बहादुर दक्षिण मध्य, दक्षिण पूर्व एशियाई एवं दक्षिण पश्चिम प्रशांत अध्ययन केंद्र, एसआईएस, जेएनयू | धार्मिक उग्रवाद का उदय एवं दक्षिण एशिया के लिए इसके प्रभाव 
 | 20 फरवरी 2008 
 | 
| प्रोफेसर मोनिका हर्स्ट टोरक्यूटो डि टेला, ब्यूनस आयर्स विश्वविद्यालय | आईबीएसए पहल के संदर्भ में ब्राज़ील-भारत संबंध 
 | 13 फरवरी 2008 
 | 
| प्रोफेसर रिचर्ड हार्टविग टेक्सस ए एवं बी विश्वविद्यालय -किंग्सविले | वर्ष 2020 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सुधारनाः एक क्षेत्रीय/आर्थिक प्रस्ताव | 4 जनवरी 2008 
 | 
| 
 2007 | ||
| प्रोफेसर माल्कॉम डेंडो ब्रैडफोर्ड विश्वविद्यालय एवं डॉ ब्रायन रैपरेट, एक्सीटर विश्वविद्यालय | जैव सुरक्षा एवं दोहरे प्रयोग अनुसंधान की चुनौतियां 
 | 16 नवंबर 2007 
 | 
| देविका शर्मा डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू 
 | वेस्टफैलियन प्रादेशिकता से विचलनः एक संकल्पनात्मक एवं ऐतिहासिक अध्ययन 
 | 7 नवंबर 2007 
 | 
| श्री अविलाश राउल, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | जल सुरक्षा वार्ताः दक्षिण एशिया के लिए विशेष संदर्भ के साथ अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय आयाम | |
| प्रोफेसर डैनियल बाकसाइंसेसपो, बोर्डियोक्स विश्वविद्यालय | नव क्षेत्रीयवाद एवं क्षेत्रीयकरणः अफ्रीका से कोई सैद्धांतिक अंतदृष्टि? | 24 अक्टूबर 2007 
 | 
| सुश्री जयश्री विवेकानंद, डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | भारत का सामरिक अभ्यासः महान मुगल रणनीति का एक मामला अध्ययन (1556-1605) 
 | 17 अक्टूबर 2007 
 | 
| डॉ. लोरेंट गायर सीएसएच, नई दिल्ली | समाजों को पुनः लानाः अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का फ्रांसीसी समाजशास्त्र | 10 अक्टूबर 2007 
 | 
| डॉ. सिद्धार्थ मल्लवारपू, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | स्थान किस प्रकार महत्त्व रखता हैः भारत में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की शिक्षा | |
| डॉ. स्वदेश एम राणा पूर्व प्रमुख, कन्वेंशनल आर्म्स शाखा, संयुक्त राष्ट्र | निरस्त्रीकरण एवं नागरिक समाज 
 | 19 सितंबर 2007 
 | 
| प्रोफेसर सुमित गांगुली ब्लूमिंगटन विश्वविद्यालय | भारत एवं अमेरिका के संबंधों के भविष्य की भूमिका | 16 अगस्त 2007 
 | 
| श्री शैलेश क्र चौरसिया डाक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के मामले पर वैश्विक दक्षिण के भीतर नीति की स्थिति 
 | 8 अगस्त 2007 
 | 
| सुश्री मोनालिसा जोशी डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | सामुहिक विनाश के हथियार के रूप में जैविक हथियारः तकनीकी एवं राजनीतिक आयामों का अध्ययन | |
| सुश्री संगीत सरिता द्विवेदी डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू 
 | चीन के साथ पाकिस्तानी एवं उत्तर कोरियाई संरेखणः संकट सिद्धांत का संतुलन परीक्षण 
 | 9 मई 2007 
 | 
| श्री जेम्स रूलंगुल डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | विकासशील देशों में क्षेत्रीय एकता की राजनीतिः एएसईएएन, एमईआरसीओएसयूआर एवं एसएडीसी का एक तुलनात्मक अध्ययन | |
| श्री सुजीत दत्ता डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | चीन की माओ के बाद की कूटनीतिः भारत के साथ सीमा वार्ता में शैली एवं पदार्थ 
 | |
| श्री रणविजय डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | राज्य नीति, संसाधन की कमी एवं हिंसक संघर्षः चिट्टगांग पहाडियों एवं गाज़ा पट्टी का एक तुलनात्मक अध्ययन | |
| डॉ. अशोक खोसला विकास विकल्प | सतत विकासः उत्तर एवं दक्षिण से एक परिप्रेक्ष्य | 11 अप्रेल 2007 
 | 
| प्रियांजलि मलिक डीफिल स्कॉलर, मेर्टन महाविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय | 1990 के दशक में भारत के परमाणु कार्यक्रम के बारे में चर्चा 
 | 17 जनवरी 2007 
 | 
| प्रोफेसर टी.वी. पॉल जेम्स मैकगिल अंतर्राष्ट्रीय संबंध के प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, मैकगिल विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल, कनाडा | परमाणु हथियार के गैर उपयोग की परंपरा 
 | 12 जनवरी 2007 
 | 
| प्रोफेसर पी.एचत्र लिओटा अंतर्राष्ट्रीय संबंध एवं सार्वजनिक नीति के लिए पेल केंद्र, साल्वे रेजिना विश्वविद्यालय | मानव सुरक्षा क्यों? 
 | 10 जनवरी 2007 
 | 
| 
 2006 | ||
| प्रोफेसर जान नेद्रेवेन पीएटेर्से इलिनोइस विश्वविद्यालय, अर्बाना-मैदान | अमेरिकी बुलबुले से परेः क्या साम्राज्य महत्त्व रखता है? 
 | 8 नवंबर 2006 
 | 
| डॉ थॉमस फ्यूज़ जर्मन विकास संस्थान, बॉन, जर्मनी | उलरिक बेक सर्वदेशीय अवलोकनः अच्छे वैश्विक शासन के लिए उपयोगी मार्गदर्शिका? | 1 नवंबर 2006 
 | 
| प्रोफेसर आर. राजारमन प्रोफेसर एमिरेटस, एसपीएस, जेएनयू | भारत-अमेरिकी परमाणु समझौताः वैज्ञानिक पहलु एवं प्रभाव 
 | 18 अक्टूबर 2006 
 | 
| प्रोफेसर वैंग गुंग्वा हांगकांग विश्वविद्यालय के पूर्व उप-कुलपति | दक्षिणपूर्व एशिया का वर्तमान रूझान एवं भविष्य 
 | 12 अक्टूबर 2006 
 | 
| श्री संजय हजारिका उत्तर पूर्वी अध्ययन एवं नीति अनुसंधान केंद्र | उत्तर पूर्व एवं उसके पास का इलाकाः आशा से वास्तविकता की ओर बढ़ रहा है | 4 अक्टूबर 2006 
 | 
| राजदूत मिगुएल मरीन बॉश मैक्सिकन राजनीयिक अकादमी | निरस्त्रीकरण एवं 21 वीं सदी में अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा | 20 सितंबर 2006 
 | 
| सुश्री मल्लिका जोसेफ डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | इंटरपोल की उत्पत्ति एवं विकासः एक संगठनात्मक परिप्रेक्ष्य 
 | 6 सितंबर 2006 
 | 
| डॉ. सतविंदर सिंह जस किंग्स महाविद्यालय लंदन | आधुनिक समाजों को अप्रवासियों एवं शरणार्थियों का सामना किस तरह करना चाहिए? | 31 अगस्त 2006 
 | 
| श्री नरसिंह मूर्ति डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | यूरोपीय एकता में वाणिज्यिक कूटनीति की भूमिकाः दक्षिण एशिया के लिए सबक 
 | 19 अप्रेल 2006 
 | 
| सुश्री हेमलता बी. एस. डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | सुरक्षा पहलुओं के लिए विशेष संदर्भ के साथ 1990 से भारत की कूटनीति 
 | |
| सुश्री टुंगायुंग मुइवाह डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | अंतर्राष्ट्रीय नागरिक सेवा में लिंगः संयुक्त राष्ट्र का एक अध्ययन 
 | |
| डॉ. जीन-यवेस हाइन सामरिक अध्ययन के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थान | यूरोपीय सुरक्षा रणनीतिः क्या यह अस्तित्व में है? 
 | 12 अप्रेल 2006 
 | 
| डॉ. आर. आर. सुब्रमण्यम निरस्त्रीकरण में विज़िटिंग प्रोफेसर, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | भारत-संयुक्त राज्य परमाणु सौदा 
 | 22 मार्च 2006 
 | 
| राजदूत एलिसन जे. के. बैल्स स्टॉकहोम अंतर्राष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान | ईरान एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच यूरोपीय संघ 
 | 22 फरवरी 2006 
 | 
| प्रोफेसर यू क्सिंटियन शंघाई अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन संस्थान, शंघाई | चीन का शांतिपूर्ण उदयः इसका अर्थ एवं प्रभाव 
 | 16 फरवरी 2006 
 | 
| डॉ. जॉर्ज छाबत सीआईडीई, मेक्सिको सिटी एवं डॉ. अब्दुल लमीन विटवॉटरस्ट्रेंड विश्वविद्यालय, जॉन्हांसबर्ग | क्या अब भी विकासशील देश हैं (थर्ड वर्ल्ड)? 
 | 15 फरवरी 2006 
 | 
| ब्रिगेडियर गुरमीत कंवल ऑब्सर्वर अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली | सियाचीन का असैनिकीकरणः रिज़ाल्विंग दि डेडलॉक 
 | 1 फरवरी 2006 
 | 
| डॉ. एंड्रयू हूरेल नफिल्ड महाविद्यालय, ऑक्सफोर्ड | अमेरिका या अनिश्चितता का साम्राज्य? 
 | 12 जनवरी 2006 
 | 
| 
 2005 | ||
| डॉ. थॉमस फ्यूज़ जर्मन विकास संस्थान, बॉन, जर्मनी | यूएन मिलेनियम $ 5 शिखर सम्मेलन के बादः वैश्विक शासन प्रणाली का सुधार | 16 नवंबर 2005 
 | 
| प्रोफेसर वरूण साहनी सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | भारत-अमेरिकी परमाणु सहयोगः बहुत दूर का एक पुल? 
 | 9 नवंबर 2005 
 | 
| डॉ. के. के. मजूमदार भूगोल में रीडर, दिल्ली विश्वविद्यालय | सीमाओं की राजनीतिः मैकमोहन रेखा 
 | 19 अक्टूबर 2005 
 | 
| प्रोफेसर पुष्पेश पंत सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | समकालीन कूटनीति में उभरते रूझान 
 | 5 अक्टूबर 2005 
 | 
| डॉ. पैट्रिक होनिग विज़िटिंग फेलो, वैश्विक दक्षिण के साथ संयुक्त राष्ट्र वार्ता | कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना 
 | 21 सितंबर 2005 
 | 
| सुश्री नम्रता गोस्वामी डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | केवल युद्ध सिद्धांत एवं मानवतावादी हस्तक्षेप से उसके संबंधः वैधता और नीति आदेश का प्रश्न | 14 सितंबर 2005 
 | 
| श्री मदन मोहन डॉक्टरेट उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | मानवीय हस्तक्षेप पर पुनर्विचार 
 | |
| श्री जोसेफ क्यूबा पूर्व छात्र, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | भारत में आतंकवाद पर 9/11 के बाद की राजनीतिक बहस 
 | 7 सितंबर 2005 
 | 
| श्री हर्ष पंत नोट्रे डेम विश्वविद्यालय | सिद्धांत बनाम अभ्यासः बीएमडी एवं अमेरिकी परमाणु रणनीति तब और अब | 24 अगस्त 2005 
 | 
| प्रोफेसर टी.वी. पॉल जेम्स मैकगिल अंतर्राष्ट्रीय संबंध के प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, मैकगिल विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल, कनाडा | वैश्वीकरण एवं राष्ट्रीय सुरक्षा स्थिति 
 | 22 जुलाई 2005 
 | 
| श्री नरेन्द्र कुमार त्रिपाठी पीएचडी उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | वैश्विक उपभोक्तावादी समाजः उत्पत्ति, सीमाएं एवं विश्व राजनीति पर प्रभाव | 20 अप्रेल 2005 
 | 
| श्री चंद्र जीते पीएचडी उम्मीदवार, सीआईपीओडी, एसआईएस, जेएनयू | अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय की स्थापनाः अभिसरण एवं विचलन के मुद्दे 
 | |
| प्रोफेसर एम. व्ही. नाइडू ब्रैंडन विश्वविद्यालय कनाडा 
 | विकास, लोकतंत्र एवं शांति 
 | 13 अप्रेल 2005 
 | 
| डॉ. राहुल मुखर्जी, राजनीतिक अध्ययन का केंद्र, जेएनयू, नई दिल्ली | वैश्वीकरण के तहत भारतीय राज्यः एक अनुसंधान कार्यक्रम 
 | 6 अप्रेल 2005 
 | 
| डॉ. विजय सखुजा ऑब्ज़वर्र अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली | भारत में विशेष संदर्भ के साथ हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा 
 | 30 मार्च 2005 
 | 
| प्रोफेसर अश्विनी रे सीपीएस जेएनयू | अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में पश्चिमी यर्थाथवादः एक गैर- पश्चिमी परिप्रेक्ष्य | 23 मार्च 2005 
 | 
| डॉ. शिबाशीष चटर्जी जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता | अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली की छवियां: शक्ति, समृद्धि या संस्कृति 
 | 11 मार्च 2005 
 | 
| डॉ मनोज जोशी संपादक (दृश्य), द हिंदुस्तान टाइम्स, नई दिल्ली | भारत में उच्च रक्षा प्रबंधन 
 | 9 मार्च 2005 
 | 
| डॉ नवनीता चड्ढ़ा बेहरा राजनीति विज्ञान विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली | दक्षिण एशिया में ट्रैक दो कूटनीति 
 | 2 मार्च 2005 
 | 
| डॉ. ई. श्रीधरन पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय, भारत के उन्नत अध्ययन का केंद्र, माइकल वेन्नोनी | सापेक्ष लाभ, आर्थिक सहकारिता एवं प्लवन सुरक्षा 
 | 23 फरवरी 2005 
 | 
| माइकल वेन्नोनी एवं केंट बिकरंगर सांदिया राष्ट्रीय लेबोरेटरियां, न्यू मेक्सिको, संयुक्त राज्य | क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी एवं सहकारी दृष्टिकोण 
 | 16 फरवरी 2005 
 | 
| प्रोफेसर सीएसआर मूर्ति अध्यक्ष, सीआईपीओडी, एसआईएस, अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन का विद्यालय, जेएनयू, नई दिल्ली | संयुक्त राष्ट्र शांति बचाव एवं भारत के अनपेक्षित परिणाम 
 | 9 फरवरी 2005 
 | 
| 
 2004 | 
 | 
 | 
| डॉ. मेरी इसाबेल चेवियर टेक्सस विश्वविद्यालय | रासायनिक एवं जैविक हथियार सम्मेलनः कार्यान्वन के मुद्दे | 3 नवंबर 2004 
 | 
| क्रिस्टोफर ग्रेगरी वीरामेंट्री, पूर्व उपाध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय | विश्व राजनीति में विश्व न्यायालय | 1 सितंबर 2005 
 | 
| डॉ. ईटी अब्राहम जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय | वैश्विक अपराध, सीमा एवं सामाजिक विज्ञान | 17 मार्च 2004 
 | 
| प्रोफेसर टी.वी. पॉल जेम्स मैकगिल अंतर्राष्ट्रीय संबंध के प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, मैकगिल विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल, कनाडा | दक्षिण एशिया में स्थायी शांति के लिए संभावनाएं 
 | 3 फरवरी 2004 
 | 
| के प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, मैकगिल विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल, कनाडा | ||