दर्शनशास्त्र केंद्र
दर्शनशास्त्र के केंद्र की स्थापना, १९९९ में सामाजिक विज्ञान के विद्यालय में हुई थी। केंद्र का उदेश्य, परम्पराओं तथा अनुशासनात्मक सीमाओं को लांघते हुए, दार्शनिक समस्याओं तथा चिंताओं का अध्ययन करना है। अध्यापन तथा शोध में, समस्या-मूलक बहुविषयक द्रष्टिकोण,केंद्र का मुख्य बिंदु है।
शैक्षिक कार्यक्रम, छात्र/छात्राओं को, मूल प्रश्नों तथा समकालीन मामलों के साथ अनुबंधन के प्रोत्साहन द्वारा, दर्शनशास्त्र के विषय में एक मज़बूत नीवं प्रदान करने के लिए लक्षित हैं। ओंटोलोजी, इपिस्टमालजी तथा नैतिकता जैसे सबसे महत्वपूर्ण विषयों के साथ-साथ, केंद्र की पाठ्यसामग्री को, दर्शनशास्त्र में नए उद्यमों को खोजने के लिए तैयार किया गया है। अध्ययन का पाठ्यक्रम भी छात्र/छात्राओं को मूल ग्रंथों, दोनों, शास्त्रीय तथा समकालीन को पढने, तथा दार्शनिक निबंध लिखने के लिए प्रशिक्षण देने पर केन्द्रित
अनुशासन तथा बहुविषयक प्रकृति के मुद्दों पर सेमीनार, सम्मलेन, कार्यशाला, उपदेश, तथा विचार-विमर्श, केंद्र की गतिविधियों का एक अभिन्न भाग है। छात्र/छात्राओं भारत तथा विदेशों के प्रतिष्ठित दार्शनिकों और विद्वानों से मिलने, विचार-विमर्श करने तथा नियमित तौर पर तर्क- वितर्क करने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान किये जाते हैं।
दर्शनशास्त्र का केंद्र, अध्ययनशील कार्य की एन संस्था बनाने के लिए निरंतर प्रयास करती है जो दार्शनिक मामलों तथा समस्याओं पर नए तथा गहरे प्रतिबिंब को प्राप्त कर सके।