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भौतिक विज्ञान विद्यालय (एसपीएस) हाल में ही जेएनयु के मुख्य अकादमिक काम्प्लेक्स में स्थानांतरित हुआ है और यह स्कूल ऑफ़ लाइफ साइंसेज के पीछे स्पेशल सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन के पास स्थित है।

 

भौतिक विज्ञान विद्यालय भौतिक विज्ञान के शोध एवं पढ़ाई के लिहाज से भारत के श्रेष्ठ विभावगन में से एक है। एसपीएस फैकल्टी ने कई नवीनतम अंतर्विषयक क्षेत्रों जो भौतिकी, रसायन विज्ञान एवं गणित से जुड़े हुए हैं, के अलावा भौतिकी के पारम्परिक क्षेत्रों में काफी महत्वपूर्ण योगदान किया है। विद्यालय में पूरी तरह विकसित संगणना सुविधाएं एवं सुसज्जित प्रयोगशालाएं उपलब्ध हैं। शोध का मुख्य रूझान रासायनिक भौतिकी, जैव, अजैव तथा भौतिक रसायन विज्ञान, कम्प्यूटेशनल भौतिकी, घनीभूत तत्व भौतिकी, अस्त व्यस्त प्रणालियाँ, कण युक्त पदार्थ, गणितीय भौतिकी, नॉन इक्विलिब्रियम स्टैटिस्टिकल मैकेनिक्स, नॉन लीनियर डायनामिक्स, प्रोबेबिलिटी नाप, क्वांटम कैओस, क्वांटम ऑप्टिक्स, स्टैटिस्टिकल नयूक्लेअर भौतिकी एवं स्ट्रिंग थ्योरी की तरफ होता है। प्रायोगिक क्षेत्रों के अन्तर्गत काम्प्लेक्स द्रव्य, सुपर मॉलिक्यूलर रसायन विज्ञान, पदार्थ विज्ञान, सुपरकंडक्टिविटी, मैग्नेटिज़्म, नॉन लीनियर ऑप्टिक्स, सेमीकंडक्टर्स, पॉलीमर्स एवं नैनोपार्टिकल भौतिकी, तथा बायो एवं नैनो पदार्थो में अल्ट्रा फ़ास्ट फोटोफिजिकल प्रक्रियाएं प्रमुख हैं।

 

एसपीएस के शोध एवं शिक्षण से जुड़े योगदानों को कई तरह से मान्यता दी गयी है। एसपीएस स्नातकों ( पीएचडी पूर्व/पीएचडी एवं एमएससी) को काफी आसानी से अनुवर्ती पद प्राप्त हो जाते हैं। फैकल्टी के ज़्यादातर सदस्यों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंसों में बोलने के लिए बुलाया जाता है। फैकल्टी एवं विद्यार्थी नियमित रूप से श्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में शोधपत्र प्रकाशित करवाते हैं। फैकल्टी के कुछ सदस्यों को प्रतिष्ठापूर्ण राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है एवं उन्हें महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अकादमियों के फेलो के रूप में भी चुना गया है। युजीसी ने एसपीएस के शोध प्रतिष्ठा को मान्यता देते हुए १९९४ में इसके लिए डीआरएस (पहला चरण) योजना स्वीकृत की है। इसे १९९९ में डीआरएस (दूसरा चरण) तथा २००४ में डीआरएस (तीसरा चरण) में प्रोन्नत कर दिया गया है। डीआरएस गतिविधि को २००० से २००४ की अवधि के दौरान यूजीसी - सीओएसआईएसटी योजना के माध्यम से संवर्धित कर दिया गया। यूजीसी के साथ के अलावा एसपीएस को पहले २००२ तथा फिर २००७ में फिस्ट कार्यक्रम के अन्तर्गत काफी मात्रा में आर्थिक सहायता प्राप्त हुई। एक और ख़ास बात यह है कि एसपीएस फैकल्टी सदस्यों ने डीएसटी, डीबीटी, सीएसआईआर आदि की शोध परियोजनाओं के माध्यम से काफी मात्रा में सहायता जुटाई है।

 

एसपीएस विश्व भर के विख्यात भौतिकविदों के लिए रूकने की एक ख़ास जगह है, एवं एक सशक्त सेमिनार कार्यक्रम विभागीय जीवन के सबसे मूल्यवान केंद्रबिंदुओं में से एक होता है। विद्यालय के बारे में ज़्यादा विस्तार में जानकारी प्रदान करने से पूर्व एसपीएस के वातावरण के बारे में बताना उचित होगा। एसपीएस प्रजातांत्रिक विद्यालय है जहां हर चीज़ पर घनी बहस होती है, चाहे वह अकादमिक हो या कोई और। एसपीएस में कभी भी कोई वर्गीकृत संरचना नहीं रही है और इसके फलस्वरूप फैकल्टी, विद्यार्थी एवं स्टाफ हर फैसले में शामिल रहते हैं। इस प्रक्रिया से विद्यालय को काफी लाभ पहुंचा है एवं यह काफी प्रगतिशील एवं साझा विभाग बना है।

 

यह विद्यालय पीएचडी (भौतिक विज्ञान/ रासायनिक विज्ञान/ गणितीय विज्ञान) तथा एमएससी (भौतिकी) डिग्री कार्यक्रम प्रदान करता है।