अंग्रेजी अध्ययन का केंद्र (सीईएस)
यह दुनिया के टॉप 100 अंग्रेजी के विभागों में से एक है।
अंग्रेजी अध्ययन का केंद्र, पहले यह भाषाविज्ञान और अंग्रेजी के केंद्र का हिस्सा था, जो 2006 में बंट गया, इसने भारत में अंग्रेजी के अध्ययन के लिए स्नातकोतर कार्य और शोध में अग्रणी साईट के रूप में बहुत अच्छी प्रतिष्ठा अर्जित की है। अंग्रेजी के एम.ए पाठ्यक्रम की वार्षिक प्रवेश परीक्षा में, उदाहरण के लिए,हर साल पूरे भारत से 2400 से ज्यादा उम्मीदवारों को आकर्षित करता है, यहाँ तक कि विदेशों से भी। हम केवल करीब 30 (या 1.5 % से कम) को ही दाखिले के लिए चुनते हैं। केंद्र ने बौधिक गतिविधियों के साथ व्याख्यान, सेमिनार, सम्भाग और पूरी दुनिया के रचनात्मक लेखकों और शिक्षाविदों की उपलब्धि की जिवंत जगह होने के कारण देश और विदेश में प्रतिष्ठा हासिल की है।
यह केंद्र भाषा और अंग्रेजी में साहित्यिक अध्ययन और तुलनात्मक साहित्यिक और सांस्कृतिक अध्ययन के क्षेत्र में शिक्षण और अनुसन्धान में अपने प्रगतिशील और अभिनव दृष्टीकोण के लिए भी जाना जाता है। हमारे एम.फिल और पीएच.डी अनुसन्धान प्रोग्राम को अपने अन्तःविषय के लिए व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। यह केंद्र एशिया में पहला था जिसने ब्रिटिश कैनन की केन्द्रीयता पर सवाल उठाये थे और नए साहित्य पर पाठ्यक्रम जैसे अमेरिकन, अफ्रीकन, कैनेडियन, ऑस्ट्रेलियाई, इंडियन इंग्लिश और दूसरों की शुरुआत की। शुरुआत से ही अनुवादिक अध्ययन का हमारे प्रोग्राम में ख़ास जगह रही है। हमारे प्रोग्राम विद्यार्थियों में वह क्षमता विकसित करना चाहते हैं जिससे वे साहित्य को भारतीय सन्दर्भ से सम्बंधित बता सकें, साहित्यिक सिद्धांतों और ग्रंथों से तुलना कर सकें, और उन तरीकों को तलाशें जिसमें इतिहास, विचारधारा और भौतिक शक्तियां साहित्यिक ग्रंथों की अवस्था बता सकें। साथ ही, यह केंद्र बहुत समय से पाणिनि अष्टाध्यायी, भार्त्र्हरी के वाक्यपदीय, भारत के नाट्यशास्त्र और भारतीय व्याकरण सम्बन्धित परम्परायों के पाठ्यक्रम की पेशकश करता है। इसका मकसद विद्यार्थियों को अपने ही सांस्कृतिक और बौधिक विरासत से अवगत करना है जिससे उन्हें मुख्या रूप से पश्चिमी साहित्य और सैधांतिक और महत्वपूर्ण ग्रंथों की ओर बढ़ते समय संतुलित दृष्टिकोण मिल सके। हम लगातार नवीन रूप से(हमारा हाल ही का विकलांगता पर अध्ययन का पाठ्यक्रम इसका दूसरों उदाहरण है), शिक्षक, विद्यार्थी, शोध विद्वानों ने हमेशा अंग्रेजी के अध्ययन के लिए आधुनिक भारतीय पद्धति को विकसित करने पर जोर दिया है, प्रतिस्प्रद्धि अंतर्राष्ट्रीय मानकों के साथ साथ हमारी लम्बी और अमीर भारतीय बौधिक परम्परा की जटिलतायों और एतिहासिक गहरायी में हमारी जगह को दिमाग में रखते हुए।
इसलिए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन(यूजीसी) के स्पेशल असिस्टेंस प्रोग्राम(एसएपी) के अंतर्गत केंद्र को विशेष सहायता विभाग जिसमे थ्रस्ट क्षेत्र “साहित्यिक अध्ययन के लिए भारत केन्द्रित दृष्टिकोण” मान्यता दी गयी थी। इससे हम हमारे कार्य के विस्तार के साथ ही महत्वपूर्ण कार्य जिसमे मुख्यतः यूरो-केन्द्रित अनुशासन और अकादमी के स्वतंत्र प्रणाली को विकसित करने के तौर पर देखते हैं। केंद्र को यूजीसी द्वारा विस्तारित स्पेशल असिस्टेंस प्रोग्राम की इसलिए केंद्र के कार्यो के लिए बहुत ज़रूरी और बहुत सराहना योग्य प्रोत्साहन था। इस प्रोग्राम के तहत केंद्र के कार्य की प्रशंसा हुई है और हमें प्रोग्राम के द्वित्य चरण जिसका फोकस “भारतीय और सीमांत साहित्य के लिए पार दृष्टिकोण” के लिए स्वीकृत किया है।.
हम दुसरे केन्द्रों के विद्यालय के स्नातक विद्यार्थियों के लिए अंग्रेजी भाषा और साहित्य में पाठ्यक्रम की भी पेशकश करते हैं। महाविद्यालय के लिए जो उपचारात्मक पाठ्यक्रम हम पेश करते हैं वो हमेशा मांग में रहता है जो विस्तृत श्रंखला के विभिन्न विषयों के छात्रों के लिए उपयोगी पाया गया है।