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नीतियाँ

1.  यद्यपि, जेएनयू एक दिल्ली स्थित विश्वविद्यालय है, फिर भी यह देश के सभी भागों में 39 केंद्रों पर अपनी प्रवेश-परीक्षा के आयोजन के माध्यम से उम्मीदवारों के दरवाजे तक पहुंच कर महानगर से बाहर निकलकर बहुत आगे बढ़ गया है। इससे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर और सामाजिक रूप से वंचित तबके को विशेष रूप से लाभ मिला है। उच्च शैक्षिक गतिविधियों के लिए रुचि रखने वाले उपर्युक्त स्तर के उम्मीदवारों को जेएनयू में प्रवेश-परीक्षा में अन्य लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा करके समान अवसर दिया जाता है तथाभावी उम्मीदवार न केवल चयनित होते हैंअपितु मिलनसारिता और सार्वजनिक जागरूकता आदि में बहुत तेजी से बढ़ते हैं। ऐसे मजबूत शैक्षिक आधार वाले छात्र प्रतिस्पर्धा कर सफलतापूर्वक सिविल सेवाओं और बैंकिंग परीक्षाओं में पास होते हैं। यह विश्वविद्यालय विशेषकर समाज के सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों और सामान्य रूप से अन्य सभी छात्रों के व्यक्तित्व के गठन में एक उत्प्रेरक(कैटालिस्ट) के रूप में कार्य करता है। जेएनयू से पास होने वाले छात्रदेश भर में अकादमियों, सिविल सेवाओं, मीडिया, गैर-सरकारी संगठन(एनजीओ) आदि में स्थान प्राप्त करते हैं।
 
2. जेएनयू में पढ़ाई अंतर्विषयी होने के नाते छात्रों को न केवल मुख्य विधा अपितु अन्य विषयों में भी अनावरण (एक्सपोजर) मिलता है।इससेउनकी अभिव्यक्ति, ध्येय, दृष्टिकोण और जागरूकता की क्षमता बढ़ती है, जिससे उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में चयन हेतु दूसरों के मुकाबले बढ़त मिलती है। सहभागी शिक्षण और शोध जेएनयू की बानगी(पहचान) है। छात्रों के लिए संगोष्ठी, प्रश्नोत्तरी, संत्रांत परीक्षा देना तथा समूह-चर्चा में भाग लेना आवश्यक होता है । इससे उन्हें जन-जन के साथ जुड़कर काम करने में आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
 
3. जेएनयू में सतत मूल्यांकन पिछले 30 वर्षों से समय की कसौटी पर खरा उतरा है। इसने अन्य विश्वविद्यालयों के लिए एक मॉडल सेट कर दिया है। यूजीसी ने अन्य विश्वविद्यालयों के लिए परीक्षा-प्रणाली में सुधार करने का लक्ष्य निर्धारित किया है जिस पर जेएनयू द्वारा अपनी स्थापना के बाद से ही अनुपालन किया जा रहा है।जेएनयू ने छात्रों के प्रवेश के समय-मानका पालन करने, शिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने, समय पर परीक्षाओं का आयोजन करने, और विश्वविद्यालय के अकादमिक कैलेंडर में परिणाम घोषित करने का गौरव प्राप्त किया है।
 
4. जेएनयू की एक और अनूठी विशेषता यह है कि जेएनयू छात्र संघ अपने कार्यों का संचालन प्राधिकारियों के हस्तक्षेप के बिना करता है। अपने संविधान के अनुसार छात्र संघ चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग का गठन करता है। जेएनयू छात्र संघ अत्यधिक लोकतांत्रिक हैं और यह अन्य छात्र संगठनों द्वारा अनुकरणीय उदाहरण है। 
 
5. जेएनयू के इतिहास में रैगिंग कभी नहीं सुनी गई है। ऐसी गतिविधियों पर निंदा और अंकुश लगाने के लिए प्रचार किया जाता है ।
 
6. यौन उत्पीड़न-रोधी जेंडर संवेदीकरण समिति (जीएसकैश) कुछ समय से कार्य कर रही है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की यह नीति है कि इसके परिसर में कोई यौन-उत्पीड़न न हो। इस नीति के उल्लंघन के लिए किसी कर्मचारी या छात्र पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
 
7.  अंततः, जेएनयू एक ऐसा विश्वविद्यालय है जिसने अपने राष्ट्रीयस्वरूप, उदार और लोकतांत्रिक लोकाचार, उच्च शिक्षण मानकों, गुणतापरक अनुसंधान और प्रकाशन आदि के माध्यम से भारतीय समाज पर एक अत्यधिक प्रत्यक्ष प्रभाव डाला है। जेएनयू के स्नातक-धारियों और शोधकर्ताओं की उपस्थिति शिक्षण, प्रशासन, मीडिया और अन्य गतिविधियों के क्षेत्रों सहित जीवन के सभी क्षेत्रों में देखी जा सकती है।